1974 में आई रिश्तों के बनने-बिगड़ने की कहानी, 30 साल बाद फिर बनी रीमेक, हर बार हुई HIT
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नई दिल्ली. सिनेमा लोगों के प्रभावित करता है…ये कथन 100 प्रतिशत सच है. अक्सर आपने घरों में लोगों को कहते सुना होगा कि ये सास बहू का ड्रामा थोड़ा कम देखा करो… दरअसल, घरों में अक्सर इसलिए कहा जाता है क्योंकि लोग उन सीरियल्स को देख प्रभावित हो जाते हैं. साल 1974 में एक ऐसी कहानी लोगों को देखने को मिली, जिसमें लोगों ने बनते-बिगड़ते रिश्तों को दिखाया गया. अनिल गांगुली एक फिल्म लेकर आए, जो न केवल सुपरहिट हुई, बल्किन हिंदी कल्ट क्लासिक फिल्मों में शुमार हुई. 30 साल बाद इस फिल्म की रीमेक बना और फिल्म ने फिर बॉक्स ऑफिस पर धमाल मचा दिया.
पुरानी ऐसी कई फिल्में हैं, जिसमें लव ट्रायंगल या दो पत्नियों की कहानी देखने को मिली. कुछ फिल्मों को लोगों ने काफी प्यार दिया और कुछ फिल्मों के दर्शकों ने सरे से नाकार दिया. 1974 में बनी फिल्म के हिट होने के 30 साल के बाद मेकर्स ने फिर इस फिल्म का रीमेक बनाया और फिल्म ने एक बार फिर से तहलका मचा दिया था.
जब जया की फिल्म ने दिया एक बड़ा सामाजिक संदेश
हम जिस फिल्म का बात कर रहे हैं, उस फिल्म में जया बच्चन नजर आई थीं. जया बच्चन ने यूं तो कई पिल्मों में विनम्र पत्नी की भूमिका निभाई थी, लेकिन अनिल गांगुली की फिल्म ‘कोरा कागज’ में उन्होंने एक अलग ही तरह की गृहणी की भूमिका निभाई. नई नवेले दंपत्ति के बीच के टकराव को दिखाने वाली इस फिल्म ने एक बड़ा सामाजिक संदेश भी दिया.
रिश्तों के बनने-बिगड़ने की कहानी ‘कोरा कागज’
दरअसल, साल 1974 में आई ‘कोरा कागज’ फिल्म की कहानी में अर्चना यानी जया बच्चन अपनी मां की नाराजगी के बावजूद सुकेश से शादी करती है. अर्चना की मां सुकेश की मामूली सैलरी की वजह से पसंद नहीं करती है. वह अपनी संपन्नता का दिखावा करती हैं. शादी के बाद उनके घर में चीजें खरीदती है, जिससे सुकेश के अहम को ठेस पहुंचती है. इन बातों की वजह से इनके रिश्ते में कड़वाहट आ जाती है और शादी के बाद मां की लगातार दखलअंदाजी की वजह से ये जोड़ा अलग हो जाता है. अर्चना (जया) अपने पैरेंट्स के घर चली जाती है और सुकेश का ट्रांसफर हो जाता है. अर्चना की मां उसे भूल दूसरी शादी के लिए कहती है लेकिन अर्चना को एहसास होता है कि वह तो अभी भी सुकेश से प्यार करती है. एक दिन संयोग से सुकेश और अर्चना की रेलवे के वेटिंग रूम में मुलाकात हो जाती है और दोनों अपनी गलतफहमियों को दूर करते हैं, फिर से साथ रहने का फैसला करते हैं.
अपनों की दखल से टूटते हैं रिश्ते
‘कोरा कागज’ फिल्म ने लोगों को ये समझाने की कोशिश की किसी का रिश्ता हमेशा उनके आस-पास के लोगों से ही प्रभावित होता है, लेकिन ये केवल उन पर निर्भर करता है कि किस रिश्ते को बचाना चाहते हैं. सुकेश अगर अपना अहम किनारे कर सिर्फ प्यार के बारे में सोचता तो शायद हालात नहीं बिगड़ते. अर्चना भी थोड़ी समझदारी दिखा सकती थी.
‘चलते चलते’ अजीज मिर्जा के निर्देशन में बनी थी.
‘कोरा कागज’ का रीमेक ‘चलते चलते’
जया बच्चन की इस सुपरहिट फिल्म का रीमेक 30 साल बाद ‘चलते चलते’ बनाया गया. साल 2003 में इस फिल्म की कहानी भी इसी के इर्द-गिर्द बनी थी. फिल्म में शाहरुख खान और रानी मुखर्जी ने लीड रोल में थे. अजीज मिर्जा के निर्देशन में बनी ये फिल्म साल 2003 में चौथी सबसे ज्यादा कमी करने वाली फिल्म है. फिल्म का लागत 50 करोड़ से कम थी और फिल्म ने कमाई के मामले में बॉक्स ऑफिस पर झंड़े लहरा दिए थे.
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Tags: Entertainment Special, Jaya bachchan, Rani mukerji, Shah rukh khan
FIRST PUBLISHED : November 30, 2023, 15:48 IST
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